Wednesday, February 26, 2020

सेक्स के दौरान भी चोटिल होते हैं लोग,जानें क्यों?

कई बार प्यार आपको दुख भी दे सकता है। हालिया रिसर्च के मुताबिक, तीन में से एक व्यक्ति सेक्स के दौरान जख्मी हो जाता है।
डेली मेल पर प्रका‌शित खबर के मुताबिक, फील गुड हार्मोन एंडोर्फिन प्यार करने वालों की बॉडी में इतनी अधिक मात्रा में होता है कि चोट खाने वाले व्यक्ति को इस बात को चोट लगने के एक दिन बात तक भी पता नहीं चलता कि वो चोटिल है।


हेल्‍थ फिटनेस एक्सपर्ट डॉ. केविन जार्डिन के मुताबिक, सेक्स के दौरान एंडोर्फिन बहुत तेज गति से शरीर में दौड़ता है। ये हार्मोन शरीर के नेचुरल वर्जन मार्फिन का ही एक वर्जन है जिसे फील गुड हार्मोन का नाम दिया जाता है।
 
यदि आप सेक्स के दौरान खराब पोजीशन में है तो भी आपको असहज महसूस नहीं होगा क्योंकि एंडोर्फिन आपके शरीर में दौड़ रहा है जो कि दर्द महसूस होने नहीं देता।

खराब पोजीशन में मसल्स में दर्द होना और ज्वॉइंट इंजरी होना बहुत आम बात है। कई बार चोटें भी लग जाती हैं लेकिन उस समय दर्द का अहसास बिल्कुल नहीं होता।

और नए आंकड़ों भी इस बात को साबित करते हैं कि सेक्स के दौरान लगने वाली चोटों का पता नहीं चलता। रिसर्च में ये बात भी सामने आई कि जुनूनी सेक्‍स के दौरान कमर में मोच आना, एडियों का मुड़ना, कुर्सी का टूटना वाइन ग्लास और कप का टूटना बहुत आम बात है। यहां तक की सेक्स के दौरान बेड का टूटना बहुत आम है।

दस में से चार लोगों ने माना कि जुनूनी सेक्स के दौरान वे ना सिर्फ खुद चोटिल होते हैं बल्कि घर की कीमती चीजों को भी तोड़ देते हैं। वहीं 5 फीसदीलोग सेक्स के दौरान चोटिल होने पर ऑफिस से छुट्टी ले लेते हैं।

इसके लिए लोग हॉलीवुड फिल्मों को भी दोष देते हैं ‌क्योंकि वे फिल्मों के कामुक सीन को रोमांटिक डेट के बाद कॉपी करने की सोचते हैं। ल‌ेकिन रीयल लाइफ फिल्मों के सेक्स सीन की तरह नहीं है। फिल्मों के सीन को कॉपी करना आपको नई मुसीबत में डाल सकता है।

ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट Meetville द्वारा कराई गई रिसर्च में सेक्स के दौरान कौन सी चोट कॉमन है, किन जगहों पर सेक्स करने पर खतरा हो सकता है और आपके आसपास की कौन सी चीजें सेक्स के दौरान खतरा बन सकती है इत्यादि को कवर किया गया।

रिसर्च में ये भी पाया गया कि सेक्स के दौरान चोटिल होने का बड़ा कारण फिटनेस फैक्टर भी है। रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि पूरी तरह से फिट ना होने के कारण चोट लगने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।

सेक्स करने की सबसे खतरनाक जगहें
सोफा
सीढ़िया
कार
शॉवर
बेडरूम
कुर्सी
रसोई टेबल
गार्डन
बाथरूम

सेक्स के दौरान टूटने वाली चीजें
बेड के फ्रेम
वाइन और बीयर गिलास
फोटो फ्रेम
कुर्सी
चाय के कप
दीवारें
दरवाजें
खिड़की
दराज में दरारें
गुलदस्ते

Tuesday, February 25, 2020

चुंबन के कितने सारे फायदे हैं, शायद ही आप जानते होंगे

क्या आप जानते हैं किस सिर्फ फन के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि फिट रहने के लिए भी किस करना बहुत जरूरी है। जी हां, किस करने और स्मूच करने के बहुत से हेल्‍थ बेनिफिट हैं। आइए जानें, रोजाना किस करके आप कैसे हेल्दी रह सकते हैं।

अगर आप अपने पार्टनर को सीरियस फ्रेंच किस करते हैं तो आपके मुंह के बैक्टीरिया दूर होंगे। इतना ही नहीं, इससे आप दांतों की बीमारी, कैवेटिज वगैरह से आसानी से बच सकते हैं।

क्या आप जानते हैं स्मूच करने से तनाव को दूर करने में बहुत मदद मिलती है। ये एक तरह का मेडीटेशन है। ये नेगेटिव फीलिंग्‍स को रिप्लेस करता है और आपको खुश करने में मदद करता है। स्मूच से आप अपनी डेडलाइंस, फाइटिंग और कुछ भी ऐसा जिससे आपको तनाव हो रहा है, सब कुछ भूल जाते हैं।


लिपलॉक करने से आपके फेस की मसल्स का वर्कआउट होता है। जो कि जल्दी झुर्रियां आने नहीं देता और आप लंबे समय तक यंग रहते हैं।
किसिंग से आपका इम्युन सिस्‍टम बढ़ जाता है। दरअसल, किस करना आपको बीमारी से बचाता है। ये एक तरीके से वैक्सीन (टीका) का काम करता है। यानी किस आपको हेल्दी बनाता है।
किसिंग से आप एलर्जी को गुडबॉय कह सकते हैं। एक जैपनीज स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ था कि 30 मिनट तक लगातार किस करने से शरीर में सीजनल एलर्जी बढ़ाने वाले बैक्‍टीरिया कम हो जाते हैं।
किसिंग से मेटाबॉलिज्म स्ट्रांग होता है। पैशनेट किस के दौरान आपकी बहुत सारी कैलोरी बर्न होती है। क्या आप जानते हैं पैशनेट होकर किस करने से आप एक मिनट में 2 से 5 कैलोरी बर्न करते हैं। ये आपके नॉर्मल रूटीन में होने वाली बर्न कैलोरी से डबल है और इससे आपको खूब फन भी मिलेगा।
एक रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि जो पार्टनर अपने पार्टनर को रोजाना सुबह पांच मिनट गुडबाय किस करते हैं वे नॉर्मल व्यक्ति से 5 साल ज्यादा जीते हैं।
कुछ-कुछ समय के अंतराल के बाद किस करने से आप हाई कॉलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर से बच जाते हैं। किस करने से एंजाइटी, घबराहट और उतावलेपन से छुटकारा मिलता है और आपके मन को शांति मिलती है।
जी हां, रोजाना किस करने से आप ब्लैडर, स्टमक और ब्लड इंफेक्‍शन से बच सकते हैं। आप रोजाना किस से पेट संबंधी बीमारियों से बचे रहते हैं। आपका वजन भी कम हो जाता है।
अब आप अपने पार्टनर को आराम से किस कर सकते हैं। अगर आपके पार्टनर को किस करना पसंद ना आता हो तो आप इन्हें इन फायदों के बारे में बताएं।

Sunday, February 23, 2020

आखिर कितना सेक्स सही है

सेक्स, ये शब्द सुनते ही कोई मुंह छुपाने लगता है तो कोई मुंह बिचकाने लगता है। इंसानों के बीच जिस्मानी रिश्तों का मसला बहुत ही पेचीदा है। इसको साधारण तरीक़े से समझ पाना या बता पाना बेहद मुश्किल है।

दुनिया में जितने तरह के लोग हैं, उतनी ही तरह की उनकी जिस्मानी ख़्वाहिशें। उनसे भी ज्यादा उनकी सेक्स को लेकर उम्मीदें और कल्पनाएं। हर देश, हर इलाके यहां तक कि हर इंसान की शारीरिक रिश्तों को लेकर चाह एकदम अलग होती है।

अब जो मामला इतना पेचीदा हो उसमें सामान्य यौन संबंध क्या है, ये बताना और भी मुश्किल है। सेक्स के बारे में लोगों की पसंद का दायरा इतना अलग-अलग और बड़ा है कि पक्के तौर पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता।

खुले समाज में रहने वाले लोग भी सेक्स के बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं

सामान्य 'सेक्स लाइफ़' क्या है? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हमने कुछ आंकड़ों को देखा-समझा और कुछ मोटे-मोटे नतीजों पर पहुंचने की कोशिश की है। जैसे कि आखिर हमें कितना सेक्स करने की जरूरत है या फिर हम बिस्तर पर अपने साथी से कैसे बर्ताव की उम्मीद करते हैं?

हमारी इस कोशिश के नतीजे हम आपको बताएं, उससे पहले ये समझ लीजिए कि ये मोटे अनुमान हैं, कोई ठोस नतीजे नहीं। वजह साफ है। खुले से खुले समाज में रहने वाले लोग भी सेक्स के बारे में खुलकर बात करने से कतराते हैं। कुछ लोग सच को छुपाते हैं, तो कुछ, झूठे दावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, हकीकत के तौर पर।

तो, हमारी इन आंकड़ों को आप एक औसत अनुमान के तौर पर देखें। हम एक बार फिर बता दें कि किसी भी सर्वे से सेक्स के बारे में ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं।

दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें कभी भी सेक्स की जरूरत ही नहीं महसूस होती


पहला सवाल ये कि हम कितना यौन संबंध बनाना चाहते हैं?

इसके जवाब में हमने जिन आंकड़ों पर गौर किया उनके मुताबिक़ ये अलग-अलग इंसान की अलग-अलग जरूरत है। मगर दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें कभी भी सेक्स की जरूरत ही नहीं महसूस होती। ये आंकड़ा कुल आबादी का दशमलव चार फीसदी से तीन फीसदी तक हो सकता है।

हालांकि मोटे तौर पर जानकार ये कहते हैं कि करीब एक फीसदी लोग, सेक्स में जरा भी दिलचस्पी नहीं रखते। हालांकि इन लोगों ने भी कभी न कभी यौन संबंध बनाया होता है।

इसके बाद आता है समलैंगिक संबंध में दिलचस्पी का। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में करीब पंद्रह फीसदी लोग समलैंगिक संबंध बनाना चाहते हैं। इनमें औरतें भी हैं और मर्द भी।

पंद्रह फीसदी इंसान समलैंगिक संबंध में दिलचस्पी रखते हैं

ये आंकड़ा भी आपके सवाल के हिसाब से बदल सकता है। मसलन अगर आप आकर्षण या खिंचाव को पैमाना बनाएंगे तो दूसरा जवाब मिलेगा। पहचान की बात करेंगे तो अलग आंकड़ा मिलेगा। समलैंगिक बर्ताव की बात करेंगे तो ये आंकड़ा फिर बदल जाएगा।

मगर पंद्रह फीसदी इंसान समलैंगिक संबंध में दिलचस्पी रखते हैं, ये बात मोटे तौर पर मानी जाती है।

(ये आंकड़े साइकोलॉजी और सेक्सुएलिटी नाम की वेबसाइट के आंकड़ों पर आधारित हैं)

अगला सवाल आता है कि आप किससे जिस्मानी रिश्ते बनाते हैं? इस सवाल के भी दिलचस्प जवाब सामने आए हैं।

बुजुर्गों के बीच भी 'वन नाइट स्टैंड' के आंकड़े युवाओं के बराबर

25
अक्सर ये माना जाता है कि कैजुअल सेक्स अक्सर दो अनजान लोगों के टकरा जाने से होता है। मगर सच्चाई इससे बहुत दूर है। जिस 'वन नाइट स्टैंड' की बहुत चर्चा होती है, असल में वो बहुत कम होता है।

लोग ये भी सोचते हैं कि ऐसे रिश्ते सिर्फ युवाओं के बीच चलन में हैं। मगर, 2009 के एक अमरीकी सर्वे के मुताबिक, बुजुर्गों के बीच भी 'वन नाइट स्टैंड' के आंकड़े युवाओं के बराबर ही हैं। यानी आधी आबादी के लिए ये मामला जरा जटिल है।

जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन के मुताबिक, सबसे ज्यादा 53 परसेंट लोग, लंबे रिश्ते के साथी से सेक्स करते हैं। वहीं चौबीस फीसदी लोग कैजुअल पार्टनर के साथ रिश्ते बनाते हैं।

दोस्तों के साथ यौन संबंध बनाने वालों की संख्या 12 फीसदी कही जाती है। तो अनजान लोगों के साथ केवल नौ फीसदी लोग सेक्स करते हैं। सारे अंदाजे के विपरीत, यौन कर्मियों से केवल दो फीसदी लोग यौन संबंध बनाते हैं।

18 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले एक साल में एक बार भी सेक्स नहीं किया

26
अगला सवाल जिसका जवाब हमने तलाशने की कोशिश की वो है कि आखिर हम कितनी बार सेक्स करते हैं?

अमरीका में हुए ग्लोबल सेक्स सर्वे के आंकड़े कहते हैं कि चालीस फीसदी लोग, हफ्ते में एक से तीन बार सेक्स करते हैं। वहीं 28 परसेंट लोग महीने में एक या दो बार। केवल साढ़े छह फीसदी लोग हफ्ते में चार या इससे ज्यादा बार जिस्मानी रिश्ते बनाते हैं।

वहीं 18 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने पिछले एक साल में एक बार भी सेक्स नहीं किया है। आठ फीसदी ऐसे हैं जो साल में एक बार यौन संबंध बनाते हैं।

वैसे, बढ़ती उम्र के साथ सेक्स की चाहत कम होती जाती है। मगर इस सर्वे से एक सबसे चौंकाने वाली बात जो सामने आई वो ये कि कई ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो युवाओं से ज्यादा यौन संबंध बनाते हैं। कई तो महीने में दो बार और करीब ग्यारह फीसदी लोग हफ्ते में एक बार सेक्स करते हैं।

67 फीसदी महिलाएं और 80 फीसदी मर्द ओरल सेक्स करते हैं

27
जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन के मुताबिक, 86 फीसदी महिलाएं और 80 फीसदी मर्द, सामान्य यौन संबंध बनाते हैं। ये दावा अमरीका में हुए एक सर्वे की रिपोर्ट के हवाले से किया गया है। जिसमें 18 से 59 साल की उम्र के करीब दो हजार लोगों की राय जानी गई थी।

इस सर्वे के मुताबिक 67 फीसदी महिलाएं और 80 फीसदी मर्द ओरल सेक्स करते हैं।

यौन संबंध बनाने में लगने वाले वक्त की बात करें तो सामान्य जोड़े इसमें पंद्रह से तीस मिनट खर्च करते हैं। इतना ही वक्त गे मर्द लेते हैं। वहीं, लेस्बियन महिलाएं यौन संबंध में सबसे ज्यादा तीस से चालीस मिनट लगाती हैं।

वैसे एक बात और है। लेस्बियन महिलाएं, गे मर्दों या सामान्य जो़ड़ों के मुकाबले कम ही जिस्मानी संबंध बनाती हैं। ये दावा कनाडा और अमरीका में हुए एक सर्वे के हवाले से किया गया है।

महिलाओं में 'फेक ऑर्गेज्म के दावे का आंकड़ा पचास फीसदी है

सेक्स की चर्चा हो और ऑर्गेज्म की बात न हो, ये कैसे हो सकता है?

आम तौर पर ये माना जाता है कि महिलाएं, झूठे ऑर्गेज्म के दावे करती हैं। अक्सर अपने मर्दों को खुश करने के लिए। कई बार इसलिए भी कि उनकी अहम् को चोट न पहुंचे। लेकिन, जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च कहता है कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं, कई बार मर्द भी ऑर्गेज्म को लेकर झूठ बोलते हैं।

महिलाओं में 'फेक ऑर्गेज्म के दावे का आंकड़ा पचास फीसदी है तो मर्दों में इसका आधा यानी 25 फीसदी। जर्नल ऑफ सेक्स रिसर्च के मुताबिक मर्दों के झूठे ऑर्गेज्म की वजह कमोबेश अपनी महिला साथियों जैसी ही होती है। ताकि उनकी सेक्स पार्टनर को बुरा न लगे।

आप अपने तजुर्बे, अपने साथी की चाहतों को समझें

मन न होने के बावजूद कई बार मर्दों को सेक्स करना पड़ा तो उन्होंने ऑर्गेज्म का झूठा दावा किया, सिर्फ अपनी साथी का मन रखने के लिए। हालांकि ऐसा करने वाले मर्दों में से सिर्फ बीस फीसदी को ये लगता था कि उनकी महिला साथी भी ऑर्गेज्म को लेकर झूठ बोलती होगी।

क्या हुआ? इन आंकड़ों के आधार पर आप सेक्स को लेकर और उलझ गए। इसीलिए, बेहतर होगा कि आप अपने तजुर्बे, अपने साथी की चाहतों को समझें, दूसरों की फिक्र न करें।

Saturday, February 22, 2020

अकेले मर्दों को हो सकता है ये कैंसर



एक नए सर्वे के नतीजों पर अगर भरोसा करें तो रिलेशनशिप में रहने वाले पुरुषों कि तुलना में सिंगल पुरुषों में भी अंडकोष के कैंसर का खतरा हो सकता है।

डेली मेल पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, सिंगल रहने वालों को टैस्टिकुलर कैंसर हो सकता है। इतना ही नहीं, सर्वे में ये भी पाया गया कि ऑफिस में काम करने वाले अंडकोष की गांठ की जांच कराने तक के बारे में नहीं सोचते।

इस सर्वे में कई चौंकाने वाले परिणाम निकलें। सर्वे के मुताबिक, जो पुरूष टेबलायड (छोटे आकार का अखबार) पढ़ते हैं उनमें ब्रॉडशीट (बड़े साइज़ का अखबार) पढ़ने वालों की तुलना में अंडकोष के कैंसर के खतरे पाए जा सकते हैं।

मेल कैंसर चैरिटी आर्किड द्वारा कराए गए इस सर्वे में तीन हजार लोगों को शामिल किया गया। ये सर्वे यह जानने के लिए किया कि पुरुष अपने अंडकोष के कितना संपर्क में हैं।

परिणामों में ये भी पता चला कि यूके के तो एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं है कि अंडकोष के कैंसर की पहचान कैसे की जाए। वहीं तीन में से एक इस बात की जानकारी अपनी मां या पत्नी को देता है लेकिन डॉक्टर के पास नहीं जाता है।

अंडकोष के कैंसर के सामान्य लक्षण है: अंडकोष में गांठ या एक गोटी में पानी भर जाना। अंडकोष में दर्द या भारीपन पेट के निचले हिस्से में दर्द थकान महसूस करना। पढ़िए, सेक्स नहीं, सेक्स के बाद फोटो पोस्ट करते हैं ये लोग वैसे तो अंडकोष का कैंसर सामान्य नहीं है लेकिन आमतौर पर 15 से 44 साल के लोगों को यह अपना शिकार बनता है।

अंडकोष के कैंसर के 85 फीसदी मरीजों का इलाज हो जाता है। अगर कैंसर अंडकोष के बाहर भी फ़ैल गया है तो 80 फीसदी मामलों में यह ठीक हो जाता है।


Friday, February 21, 2020

छोटी-सी मुस्‍कान, डाल देती है रिश्‍ते में जान


अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में मिठास घोलने के लिए लोग अक्सर बड़ी-बड़ी जुगत लगाते नजर आते हैं. ऐसी कोशिशें कामयाब हो जाती हैं. पर रिश्ते में गरमाहट लाने का सबसे आसान उपाय है, अपने साथी को प्यार भरी नजरों से एक छोटी-सी मुस्कान का तोहफा देना.
इस मुस्कान के कई फायदे तो साफ नजर आते हैं. इससे अपना तनाव तो दूर होता ही है, पार्टनर के दिल को भी भरपूर सुकून पहुंचता है. यह बहुत ही स्वाभाविक बात है कि जब कोई आपकी ओर प्यार भरी नजरों देखकर मुस्कुराता है, तो आप भी बिना मुस्कुराए रह नहीं सकते. वैसे भी यह शिष्टाचार का तकाजा है कि मुस्कान का 'प्रतिदान' मुस्कान या प्यारी-सी हंसी के रूप में ही सामने आए.
मुस्कान भी कई तरह की होती है. जब कोई एकदम गंभीर भाव से अपने होठों पर मुस्कुराहट की बहुत छोटी-सी लकीर पैदा करता है, तो वह बेहद आकर्षक नजर आता है. जब यह लकीर धीरे-धीरे और चौड़ी होती जाती है, तो सामने वाला बिना मुग् हुए रह नहीं पाता. कहने का मतलब यह कि मुस्कान चाहे जिस तरह की हो, यह हर हाल में अपने चाहने वालों पर गहरा असर डालती है.
कई बार दिल का गम छुपाने के लिए भी मुस्कुराहट का सहारा लेना पड़ता है, 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो....' इस हाल में भी मुस्कुराने से गम दूर हो हो, पर गम कुछ कम तो जरूरी हो जाता है.
तो फिर देर किस बात की...किसी का दिल जीतने के लिए, जीते दिल पर राज करने के लिए मुस्कुराते रहिए. चवन्नी या अठन्नी का चलन भले ही गुजरे जमाने की बात हो गई हो, लेकिन 'चवनिया' और 'अठनिया मुस्कान' अब भी खूब चलती है. एक बात और.मुस्कान की भाषा दुनिया के हर देश में अच्छी तरह समझी जाती है.